सूरज डूबा, चंदा आया, रात आयी कारी सी मुन्ना मेरा सोयेगा, निंदिया लायी प्यारी सी। पंछी देखो उड़-उड़कर, अपने घर को चले गए साँझ हुआ तो तीतर-बन्दर, भालू मामा चले गए। लाला मेरा धीरे-धीरे, अब बिस्तर में जायेगा अंखिया अपनी मूंदे-मूंदे, सपनों में खो जायेगा। रात सुहानी बीत रही है, भोर कहीं न हो जाये मम्मी मीठी लोरी गाये, मुन्ना राजा सो जाये। |
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मनीष पाण्डेय "मनु"
कीपोर्ट, न्यू जर्सी, मँगलवार २४ अगस्त २०१०
8 टिप्पणियां:
वाह बढिया .. आपको रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
लोरी बेहद पसन्द आयी आपको बधाई।
रात सुहानी बीत रही है, भोर कहीं न हो जाये
मम्मी मीठी लोरी गाये, मुन्ना राजा सो जाये ..
मीठी लोरी है ... मधुर ....
रक्षाबंधन की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! उम्दा प्रस्तुती!
कितनी प्यारी लोरी है, मुन्ना राजा कैसे ना सोयेगा ।
रात सुहानी बीत रही है, भोर कहीं न हो जाये
मम्मी मीठी लोरी गाये, मुन्ना राजा सो जाये।
...यह प्यारी लोरी सुनकर भला कौन न सो जाये...शानदार.
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'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत ही सुदर बच्चा है....
सस्नेह
चन्दर मेहेर
इंग्लिश की क्लास
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