जीवन
बस एक शब्द है
जन्म से लेकर
बचपन, लड़कपन, जवानी
और बुढ़ापा से लेकर मृत्यु तक
सब कुछ बस एक शब्द ही हैं
हार-जीत, अच्छा-बुरा
धनी-निर्धन
हँसी और दुःख भी
बस शब्द हैं
हँसना-बोलना
ही नहीं मौन भी
एक शब्द ही है
पद-प्रतिष्ठा
रीति-रिवाज
पहनावा और भोजन
सारा खेल शब्दों का है
एक शब्द ही है
जिसके पीछे
हम मारे-मारे फिरते हैं
शब्दों के साथ
शब्द जमा करते-करते
जबकि हम जानते हैं
कि एक दिन
हमें बस एक शब्द में
सिमट जाना है
कभी-कभी सोचता हूँ
पता नहीं
हाव कौन सा शब्द होगा
दुनिया जिसे याद रखेगी
जब मैं
नि:शब्द हो जाऊँगा