सोमवार, 18 नवंबर 2024

नि:शब्द

जीवन 

बस एक शब्द है


जन्म से लेकर

बचपन, लड़कपन, जवानी 

और बुढ़ापा से लेकर मृत्यु तक

सब कुछ बस एक शब्द ही हैं


हार-जीत, अच्छा-बुरा

धनी-निर्धन

हँसी और दुःख भी

बस शब्द हैं


हँसना-बोलना 

ही नहीं मौन भी

एक शब्द ही है


पद-प्रतिष्ठा

रीति-रिवाज

पहनावा और भोजन

सारा खेल शब्दों का है


एक शब्द ही है 

जिसके पीछे 

हम मारे-मारे  फिरते हैं


शब्दों के साथ 

शब्द जमा करते-करते 


जबकि हम जानते हैं 

कि एक दिन 

हमें बस एक शब्द में 

सिमट जाना है 



कभी-कभी सोचता हूँ

पता नहीं

हाव कौन सा शब्द होगा 

दुनिया जिसे याद रखेगी 


जब मैं 

नि:शब्द हो जाऊँगा