शनिवार, 4 नवंबर 2000

अमरत्व तक

 हो रही है साजिश
मुझे मरने की,
 
जहर घोला जा रहा है
मेरी नसों में,
 
हो रही तैयारी
मुझे चौगान पर ही
रोक देने की। 

मैं जानता हूँ
कि उन्हें डर लगता है
मेरी मौजूदगी से

मेरी आंखो को रोष
दहशत बनकर
उनके भीतर उतरती है

उन्हें लगता है
कि हर कदम पर 
मैं उनकी राह का कांटा 
बनता जा रहा हूँ 

जो खंजर कि तरह
जो उतरेगा उनके
दिल कि गहराइयों तक 
 
और निकाल देगा
उनकी सारी हैवानियत
जो उनके रागो में दौड़ रही है 

सारी जुगत लगा रहे हैं
वे लोग
लेकिन मैं नहीं मरूँगा
 
क्योंकि मैंने थम ली है कलम 
जिससे उपजा अक्षर-अक्षर
ले जाएगा मुझे 
अमरत्व तक 

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
शनिवार 4 नवंबर, बिलासपुर, भारत


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