मैं जानता हूँ कोई नहीं
आ रहा फिर भी,
जाने क्यों देखता हूँ
मुड़-मुड़ के बार-बार |
एक हूक सी उठती है
हर साँस में मेरी,
दिल जोर से धड़के है,
मेरा होके बेकरार |
कभी जोर से धड़के है
कभी बैठ सा जाये,
दीवानगी पे दिल के-
नहीं मेरा इख़्तियार |
तुझे पा नहीं सकता हूँ
मुझे इसका इल्म है,
तुझे चाहते रहने का
तो हक़ है हजार बार |
आहट हुयी कहीं तो-
लगता है के तुम हो,
अब हर साँस में मेरे
है बस तेरा इन्तजार |
आ रहा फिर भी,
जाने क्यों देखता हूँ
मुड़-मुड़ के बार-बार |
एक हूक सी उठती है
हर साँस में मेरी,
दिल जोर से धड़के है,
मेरा होके बेकरार |
कभी जोर से धड़के है
कभी बैठ सा जाये,
दीवानगी पे दिल के-
नहीं मेरा इख़्तियार |
तुझे पा नहीं सकता हूँ
मुझे इसका इल्म है,
तुझे चाहते रहने का
तो हक़ है हजार बार |
आहट हुयी कहीं तो-
लगता है के तुम हो,
अब हर साँस में मेरे
है बस तेरा इन्तजार |
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