पता नहीं क्यों
एक अनजाना सा भय
मन को हमेशा
व्यथित कर देता है
कि किसी रोज
किसी मोड पर
किसी राह में
या इस अथाह संसार सागर के
मझधार पर
कहीं तुम
मेरा छुड़ा तो ना लोगी
मेरी तनहाई, मेरी बेबसी
मेरी तड़प,मेरी प्यास
और तुम्हें पाने कि लगन
बुला रही है तुम्हें
पुकारती है
कि तुम आ जाओ
आ जाओ कि मुझे
तुम्हारे साथ कि जरूरत है
उम्र भर के लिए
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
शनिवार 1 दिसंबर 2001, बिलासपुर, भारत
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
शनिवार 1 दिसंबर 2001, बिलासपुर, भारत
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