सूरज
तुम तो
हज़ारों करोड़ों सालों से
रोज आते हो ना?
तुम तो
हज़ारों करोड़ों सालों से
रोज आते हो ना?
तुमने तो सब देखा है
अपनी आँखों से,
फिर क्यों भला
कभी कुछ नहीं कहते
कुछ नहीं करते?
क्यों अंदर-अंदर ही
जलते रहते हो?
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मनीष पाण्डेय “मनु”
लक्सम्बर्ग, सोमवार 08-मार्च-2021
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