नहीं आता मुझे
ऊपरी दिखावे के साथ
रिश्ते बनाना,
और अनमने से निभाना तो
बिलकुल नहीं आता |
नहीं आता मुझे
खोखले वादे करना,
और झूठे सपने दिखाना तो
बिलकुल नहीं आता |
जो होता है
मेरे मन में वही बात
कहता हूँ साफ-साफ,
चिकनी-चुपड़ी बातों से
बातें बनाना तो
बिलकुल नहीं आता |
जो भी करता हूँ
बस उसी में
डूब के करता हूँ,
ऊपर-ऊपर से
छू कर निकल जाना तो
बिलकुल नहीं आता |
बस खो जाता हूँ
जो हो रहा है उसी में,
फिर मैं या मेरे होने का
भाव दिखाना तो
बिलकुल नहीं आता |
अपने आप को
भुला देने के बाद
होती है एक ख़ुशी,
और स्वयं को
पहचानने का
जो मिलता है सुख
उसे शब्दों में बताना तो
बिलकुल नहीं आता |
ईश्वर ने सदा ही
बढ़-चढ़ के की है
कृपा मुझपर,
और उस ऊपर वाले
की दया का मोल चुकाना तो
बिलकुल नहीं आता |
--------------------------------------
मनीष पाण्डेय "मनु" लक्सेम्बर्ग, ६ मई २०२०
ऊपरी दिखावे के साथ
रिश्ते बनाना,
और अनमने से निभाना तो
बिलकुल नहीं आता |
नहीं आता मुझे
खोखले वादे करना,
और झूठे सपने दिखाना तो
बिलकुल नहीं आता |
जो होता है
मेरे मन में वही बात
कहता हूँ साफ-साफ,
चिकनी-चुपड़ी बातों से
बातें बनाना तो
बिलकुल नहीं आता |
जो भी करता हूँ
बस उसी में
डूब के करता हूँ,
ऊपर-ऊपर से
छू कर निकल जाना तो
बिलकुल नहीं आता |
बस खो जाता हूँ
जो हो रहा है उसी में,
फिर मैं या मेरे होने का
भाव दिखाना तो
बिलकुल नहीं आता |
अपने आप को
भुला देने के बाद
होती है एक ख़ुशी,
और स्वयं को
पहचानने का
जो मिलता है सुख
उसे शब्दों में बताना तो
बिलकुल नहीं आता |
ईश्वर ने सदा ही
बढ़-चढ़ के की है
कृपा मुझपर,
और उस ऊपर वाले
की दया का मोल चुकाना तो
बिलकुल नहीं आता |
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मनीष पाण्डेय "मनु" लक्सेम्बर्ग, ६ मई २०२०
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