व्हाट्स एप ग्रुप की सदस्ता
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कोई मुझे भी ग्रुप से निकाल दे, अनूप दादा बन जाऊँ
बेकार की बातों से फुर्सत हो के, कविता में ध्यान लगाऊँ
किसी और की फारवर्ड नहीं, अपनी कविता लिखूंगा
कविताई पे दूंगा ध्यान, और कुछ नया सीखूंगा
गीत गजल और नवगीत, सब को थोड़ा और समझूंगा
बड़े बड़ों ने जो लिक्खा है, उसका थोड़ा और पढूंगा
थोड़ी समझ बढ़ जाये तो, अच्छी कविता लिख पाऊँ
कोई मुझे भी ग्रुप से निकाल दे, अनूप दादा बन जाऊँ
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कोई मुझे भी ग्रुप से निकाल दे, अनूप दादा बन जाऊँ
बेकार की बातों से फुर्सत हो के, कविता में ध्यान लगाऊँ
किसी और की फारवर्ड नहीं, अपनी कविता लिखूंगा
कविताई पे दूंगा ध्यान, और कुछ नया सीखूंगा
गीत गजल और नवगीत, सब को थोड़ा और समझूंगा
बड़े बड़ों ने जो लिक्खा है, उसका थोड़ा और पढूंगा
थोड़ी समझ बढ़ जाये तो, अच्छी कविता लिख पाऊँ
कोई मुझे भी ग्रुप से निकाल दे, अनूप दादा बन जाऊँ
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मनीष पाण्डेय "मनु "
लक्सेम्बर्ग, शुक्रवार १२-जून २०२०
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