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बिटिया घर से हो विदा
अजब बनी यह रीत
माँ-बाबा कैसे सहें
बिछुड़े उनकी प्रीत
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गुरु वंदना में पहला दोहा:
महिमा वेद-पुराण भी, जिनकी करें बखान
गुरु के बिन मिलता नहीं, जग में कोई ज्ञान
श्याम नाम मीरा भजे,
सबरी जपती राम
वे ही सागर प्रेम के,
वे ही पूरन काम
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रक्षाबंधन के लिए मेरा प्रयास:
रेशम डोरी प्यार की, बाँध कलाई आज
भाई से बहना कहे, रखना इसकी लाज
और
रेशम प्रेम प्यार का, बँधा कलाई आज
भाई को ऐसा लगे, मिला स्वर्ग का राज
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