सोमवार, 10 मार्च 2014

मारुती वंदन

मारुती वंदन

भव -सागर को पार करें, 
      ऐसा कुछ उपचार करें। 
मारुती नंदन की आओ,
      हम सब जय-जयकार करें॥१॥ 

शंकर सुवन, केशरी नंदन,
      मात अंजनी के प्यारे। 
 चरणों में करने वंदन,
      आये हम तेरे द्वारे॥ २॥

फल समझा तो लील गए,
      सूरज को तो बचपन में। 
वही तुम्हारी बाल छवी,
      बसी हुयी मेरे मन में॥ ३ ॥

राम मिलाके सुग्रीव से,
      काम बनाए दोनों के। 
मेरी भी विनती सुन लो,
      हार गया मैं रो-रो के॥ ४॥
सीता माँ का खोज किया,
      सोने की लंका जारी। 
अब तो मेरी भी सुध लो,
      ओ भक्तन के हितकारी॥ ५॥

लक्ष्मण को जब बाण लगी,
      लाय हिमालय से बूटी। 
मेरे भी दुःख दूर करो, 
      ओ दुःख भंजन मारुती॥ ६ ॥

अहिरावन को दिया पछाड़,
      नाग-पास की बल टली। 
शरण तिहारे मैं आया,
      दया करो बजरंग बली॥ ७॥

राम-सिया के भक्त अनूठे,
     चीर के छाती दिया प्रमाण। 
हाथ जोड़ मैं करूँ वंदना,
      कृपा करो मुझ पर हनुमान॥ ८॥