बुधवार, 19 जुलाई 2023

कुर्सी

देश के लिए पदक लाओ
पसीना तो क्या खून बहाओ
पर हक की आवाज ना उठाओ
मेरे दामन पर दाग ना लगाओ

तुमने अपना मुँह जो खोला
फिर तो मेरा धीरज डोला
कोई इनको सबक सिखाओ
कीचड़ उछालो धारा लगाओ

जनता तो है गूँगी बहरी
उसके ऊपर अंधी ठहरी
उसके ईमान मत जगाओ
मैं जो कहूँ बस मान जाओ

झूठ से भरा पुलिंदा बनाकर 
स्टोरी कहो या  फाइल्स बनाकर 
बढ़-चढ़ कर इंटरव्यू दे आओ
खुद को ही सच का मसीहा बताओ

कैमरे पर हरदम रखो नजर 
कुर्सी के लिए साष्टांग हो कर 
तबाशबीनों को कुछ करतब दिखाओ
माहौल बना दे वो जुमले चलाओ

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
शुक्रवार 19 जुलाई 2023, नीदरलैंड

सोमवार, 10 जुलाई 2023

गजल

 गजल

वजन सीने पे रक्खा है वजन काँधे पे डाला है
वजन से तौल के मिलता यहाँ हर इक निवाला है

शिकायत है उसे हमसे हमारा तौर दूजा है
मगर मालिक ने हम सबको बनाया ही निराला है

कहाँ तुम ढूँढ़ते उसको गुफाओं या पहाड़ों में
हर इक के आत्मा में झाँक कर देखो शिवाला है

कभी साखों पे जिसके बांध झूले डोलते थे हम
बहुत अफसोस के वो पेड़ बूढ़ा गिरने वाला है

यहाँ तक ठीक था वो खुद को इक राजा बताये
अहं में चूर वो खुद को नबी बतलाने वाला है

बहुत बेचैन है राही किसी अनजान खतरे से
किनारा आ गया माझी ने अब लंगर निकाला है 

नहीं दरकार है मुझको किसी सजने सँवरने की
मुहौब्बत के दमक से रूप मेरा खिलने वाला है 

भले अंधियार काली रात की गहरी सी छाई हो 
जला जो दीप छोटा सा पसार जाता उजाला है