नदी की धार में उठते उफ़ानों की तरह
पत्तों की ओट से लुढ़कते ओस की तरह
पहली बारिस में धरती की महकती सोंधी खुशबू की तरह
पलाश के जंगलों में चटकती कलियों की तरह
रात रानी के पौधे नीचे झड़े फूलों की तरह
मोगरे के गुच्छों से उड़ती खुशबू की तरह
झरनों के कलकल से बजते संगीत की तरह
होती है दिल में दस्तक पहले प्यार की
------------------------------------------------- मनीष पाण्डेय ‘मनु’ अलमेर, नेदरलॅंड्स, रविवार १८-अक्टूबर-2022