सबसे बड़ा दुख है
संतान का ना रहना,
और कोई कहे
ऐसे संतान का होना
किस काम का है
जो ना सुने कहना
किसी के लिए दुनिया में
गरीबी ही
सबसे बड़ा दुख है,
तो किसी के लिए
अपनों के बिना
अमीरी में क्या सुख है
किसी को दुख है
वो चार पैसे बचाने
आधे घण्टे की दूरी
पैदल चलकर जाता है,
किसी का रोना
है पैसा तो बहुत
लेकिन शरीर के लिए
आधा घण्टा नहीं दे पाता है
किसी के हाथ में
नहीं है मोबाइल
बड़ा या महंगा वाला
इसलिए वो रोता है,
और जिसके पास है
सबसे अच्छा और ऊंचा
वो भी कहाँ चैन से सोता है
किसी की मुसीबत है
उसके बच्चे का
कम पढ़ा लिखा होना,
तो कोई रोता है
ऊंची पढ़ाई वाले बच्चे के
दूर होने का रोना
बच्चे देखते हैं
जल्दी बड़े होकर
अपनी इच्छाओं को
पूरा करने का सपना,
बड़ों कि दिल में टीस
कहाँ चले गए वो दिन
कहाँ गया वो बचपन अपना
हर किसी को
अपनी थाली में
सब सूखा नज़र आता है,
रूखी-सूखी खाकर भी
जो संतोष कर ले
वही सुखी जीवन बीतता है
जीवन में यदि केवल
सुख ही सुख हो
तो वही सुख एकदिन
नीरसता के दुख में बदल जाएगा,
समझदारी और
सूझबूझ से काम लिया
तो हर दुख का इलाज़
जरूर निकल आएगा
मानव जीवन तो
संघर्षो और जीत की
एक शानदार कहानी है,
जीओ ऐसे जैसे
हर रोड़े को पार कर
बहता जाता
दरिया का पानी है
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मनीष पाण्डेय “मनु”
लक्सेम्बर्ग ,शुक्रवार 26-नवंबर-2021