मैं कौन हूँ?
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उसमें बसी है
मेरी जान
किसी तोते की तरह
मैं चाहता हूँ
छुपाकर रखना
उसे दुनिया की नजर से
मेरे सिवा कोई और
उसे देख ना सके
छू ना सके
गर वो तोता है
तो फिर
मैं कौन हूँ?
प्रेम राक्षस!!
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
लक्सम्बर्ग शनिवार 28 मई 2022
मैं कौन हूँ?
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उसमें बसी है
मेरी जान
किसी तोते की तरह
मैं चाहता हूँ
छुपाकर रखना
उसे दुनिया की नजर से
मेरे सिवा कोई और
उसे देख ना सके
छू ना सके
गर वो तोता है
तो फिर
मैं कौन हूँ?
प्रेम राक्षस!!
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
लक्सम्बर्ग शनिवार 28 मई 2022
घण्टों बातें
करती है
मिलने आती है
जब भी पूछा
दिल का हाल तो
हँसके टाल जाती है
साथ है
पर साथ नहीं
उससे बुरी
कोई बात नहीं
ना मिले उसका प्यार
तो उससे बदतर
हालात नहीं
क्या सितम है
मेरा होके भी
वो मेरा न हुआ
सुलग रहे हैं हम
और ज़िंदगी हो गई
धुआँ-धुआँ
ना बेवफा है
और ना ही
सितमगर है
लेकिन
उसका प्यार
एक भरम भर है
इससे अच्छा तो
कह दे साफ
कोई नाता नहीं
इस तरह घुट-घुट
अब और
जिया जाता नहीं
लेकिन डरता हूँ
उसने “ना” कहा तो
क्या जी पाऊँगा?
और यदि
“हाँ” कहा तो
शायद
खुशी से मर जाऊँगा
प्यार से बढ़कर
गुनाह नहीं है
किसी भी सूरत
इसका
निबाह नहीं है
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
लक्सम्बर्ग शनिवार 28 मई 2022