सोमवार, 24 जनवरी 2022

ट्रेजेडी

ट्रेजेडी
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चाहे तुम

अरस्तू के लिखे 

पोएटिक्स के हवाले से कहो

या कालिदास रचित

अभिज्ञान शाकुंतलम्  के नाम पर


चाहे वो

कबीर के दोहे हों

या बात निकले 

मिर्ज़ा ग़ालिब के कलाम पर 


तुलसी की चौपाई हो

या नुक्ता-चीनी हो 

निराला-अज्ञेय के काम पर 


बात बस इतनी सी है,

सिर्फ खुशियों और 

जीत के सहारे 

कहानी नहीं चलती है 


ट्रेजेडी केआने से ही 

ज़िदगी 

मुकम्मल होती है 

और एक कविता बनती है


---------------------------------- मनीष पाण्डेय “मनु” लक्सेम्बर्ग, मंगलवार 24 वरी 2022

गुरुवार, 20 जनवरी 2022

दिल के अरमां


दिल के अरमां


दिल के अरमां  बरगद हैं काम तो पर है बोनसाई

भीड़ बहुत है दुनिया में लेकिन दिल में है तनहाई


वक्त बुरा जब आता है तब किसी और की कौन कहे  

साथ नहीं देती है फिर तो अपनी भी है परछाई 


मन की बात समझ ले वो पत्थर की मूरत थोड़े है 

आदमी से साफ-साफ कह देने में ही है भलाई  


मन की पीड़ा मन में रखले नहीं बताना दुनिया को 

मदद नहीं करता कोई होती केवल है रुसवाई


खुश रहना है दुनिया में तो चुप रहना ही अच्छा है

गर बात तुम्हारी जमी नहीं फिर समझो है सामत आयी


---------------------------------- मनीष पाण्डेय “मनु” लक्सेम्बर्ग, गुरुवार 20 जनवरी 2022