रविवार, 18 दिसंबर 2022

हार-जीत

जो जीत गया वो जीत गया 
जो हार गया वो हार गया 
बाजीगर वो कहलाता है 
जो अपनी बाजी मार गया 

जो जीता उसको सब सुनते 
उनके ही किस्से सब बुनते 
दुनिया का बस दस्तूर यही 
जीता है उसको सब चुनते 

जो हार गया वो छूट गया 
मानो किस्मत भी रूठ गया 
कितने उद्यम करके आये  
उसका कसाव सब टूट गया 

इस हार-जीत के खेले में 
गम और खुशी के मेले में 
जो जीते हैं या हारे हैं 
दोनों ही पड़े झमेले में 

वो जीत अगर सर चढ़ जाए 
तो अहम् भाव भी बढ़ जाए 
दीमक लग जाए कौशल पर 
फिर कदम पतन को बढ़ जाए 

चाहे उड़कर नभ को छू लो 
तारों के बीच चमक झूलो 
पर ठौर ठिकाना धरती पर 
यह बात कभी ना तुम भूलो 

गिरने से हार नहीं होती 
बिन तपे निखार नहीं होती 
पत्थर से मूरत ना बनती 
जो छेनी मार नहीं होती 

जो एक हार से टूट गया 
वो नहीं रचे इतिहास नया 
ये हार-जीत होते रहते
तुम उठो चलो फिर दांव नया 

जो हार मिली स्वीकार करो 
पर गलती का उपचार करो 
कुछ दांव नए सीखो पक्के 
फिर जीत नया अभिसार करो 


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
अलमेर, नेदरलॅंड्स, रविवार १८-दिसम्बर-2022