शनिवार, 21 नवंबर 2020

सिमट रहे हैं

रोज मर्रा के
काम काज
निपटाते-निपटाते
जिन्दगी के
हंसी लम्हे
निपट रहे हैं  

सुविधाओं से
लिपटने की होड़ में
अकेलापन और 
अवसाद
लिपट रहे हैं 

जिन्दगी तो
भाग रही है 
बेतहाशा
लेकिन 
दिल के अरमान
घिसट रहे हैं 

छूने की चाहत में 
चाँद सितारे 
पीछे छोड़ आये 
उन्हें जो 
मन के 
निकट रहे हैं 

बढ़ रहा है 
ऑनलाइन अवतार का 
दायरा 
पर दिल से जुड़े 
सच्चे रिश्ते 
धीरे-धीरे
सिमट रहे हैं 

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मनीष पाण्डेय “मनु”
लक्सम्बर्ग, शनिवार 21-नवम्बर-2020