मंगलवार, 14 सितंबर 2021

तर्पण दिवस

आप सभी को
हिन्दी के तर्पण दिवस की
हार्दिक बधाई
समय बदल गया है
इसलिए तर्पण के दिन भी
बधाई देना पड़ता है
आप आहत हो गए
तर्पण दिवस कहने से?
सम्भवतः क्रोधित भी?
हो जाइए,
आपको भी अधिकार है
अन्ततः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
केवल हमारी बपौती तो नहीं है
मैं तो इसे
तर्पण ही मानता हूँ
कोई बताए
क्या उपयोग रह गया है
हिन्दी का
हमारे दैनिक जीवन में?
ना नौकरी मिलती है
और ना सम्मान
सबको
बहती गंगा में हाथ धोना है
और एक दिन के लिए
हिन्दी के प्रति संवेदना दिखाकर
प्रायश्चित कर लिया जाता है
साल भर
हिन्दी के कार्यक्रमों की सूचना
अंग्रेज़ी में मिलती है
हिन्दी साहित्य के दल
अंग्रेज़ी नाम के बनाए जाते हैं
जाने और माने साहित्यकार भी
हिन्दी की दुर्दशा का रोना
अंग्रेजी में रोते हैं
ऐसे में एकदिन हिन्दी दिवस मनाना
ये तर्पण करना नहीं तो
और क्या है ?

---------------------------------------- मनीष पाण्डेय “मनु” लक्सेम्बर्ग ,मंगलवार 14-सितम्बर-2021

हिन्दी

पेट भरने
और घर चलाने के लिए
ना सही
किन्तु
चोट खाने पर
मेरे अंतस दुःख को
बताने की भाषा हिन्दी है
खुश होने पर
उल्लास को
जताने की भाषा हिन्दी है
और तो क्या कहूँ
नींद में जब सपने देखता हूँ
तो उसकी भी भाषा हिन्दी है
इसलिए मेरे मन में
हिन्दी भाषा के लिए
कोई एक दिन निर्धारित नहीं है

हर दिन हिन्दी का है
हिन्दी के लिए है
----------------------------------------
मनीष पाण्डेय “मनु”
लक्सेम्बर्ग ,मंगलवार 14-सितम्बर-2021