बीत रही है
रात-
नया सूरज आएगा,
मन रे!
रख ले धीर-
पीर यह मिट जायेगा ।१।
आशा की लालिमा -
देख!
पूरब में छायी,
पंछी के कलरव भी
अब-
दे रहे सुनाई ।२।
उदयाचल का रूप-
अलौकिक
निखर रहा है,
देख!
उजाला-
धीरे-धीरे
पसर रहा है ।३।
गुरुवार, 25 नवंबर 2010
होठों पे वो हंसी
मैं
कभी
याद आऊं
और तुम
भावुक हो उठो,
तो
अपनी आँखें
मूंदकर
मन-ही-मन
एक बार
मेरा नाम लेना
और
याद करना कि
मुझे
तुम्हारी हंसी
कितनी प्यारी है,
और
मुझे विश्वास है कि
तुम्हारे
होठों पे
वो हंसी
फिर से
छा जाएगी
कभी
याद आऊं
और तुम
भावुक हो उठो,
तो
अपनी आँखें
मूंदकर
मन-ही-मन
एक बार
मेरा नाम लेना
और
याद करना कि
मुझे
तुम्हारी हंसी
कितनी प्यारी है,
और
मुझे विश्वास है कि
तुम्हारे
होठों पे
वो हंसी
फिर से
छा जाएगी
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