रविवार, 14 मई 2023

परदेसी

आसमान में

तारामण्डल देख

मन ही मन गुनता हूँ 

मेरा घर 

किस दिशा में होगा?


घड़ी देख के

अंदाजा लगाता हूँ

कितना बजा होगा

वहाँ अभी?


कल्पना करता हूँ

माँ क्या कर रही होगी?


याद करता हूँ

मैं क्या करता था

जेठ-वैशाख की

उजली रातों में?


घर लौटते हुए

सड़क छोड़

गली पकड़ते ही

बचपन की गली

याद आती है


गली की छोर से

घर का दरवाजा देख

माँ को खोजता हूँ

दुआरे पर खड़ी

राह तकते

स्कूल से आने में

जब देर हो जाती थी


ब्याह के 

पिया घर आई

बिटिया की तरह


हर छोटी-बड़ी

बात पर 

बाबुल के घर को

याद करते हैं 

परदेसी भी


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

नीदरलैंड्स, शनिवार 14 मई 2023

 

गुरुवार, 11 मई 2023

नदी

 नदी जानती है

उसका का अपना 

कुछ नहीं


ना पानी

ना डगर

ना धार 


पत्थर के टीले

उसे ठेलते

तो मुड़ती जाती 

इधर से उधर 


पठार

उसे बहा देते

तो आगे बढ़ जाती

हिलोरें मारते


और पानी तो

उसे मिलता है

पहाड़ों की कोख से

या वर्षा की फुहार से


फिर भी वो

चलती जाती है

कलकल के गीत गाते

नागिन सी बलखाते

हिलोरों की डग भरते


क्योंकि

उसका लक्ष्य तो

उसी अनंत में समा जाना है

बनी थी जिसके 

अंश से


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

नीदरलैंड्स, गुरुवार 11 मई 2023

 

मंगलवार, 9 मई 2023

अचरज

 मेरा बेटा अब

बारह साल का 

हो गया है 


स्कूल में पढ़ाई के लिए

इंटरनेट पर 

रिसर्च करता है


उसे सब पता है


कैसे बीज से

पौधा उगता है

और फिर पेड़ बनता है

फल देता है


कैसे शहद बनता है,

बारिस, तूफ़ान

चक्रवात क्यों आते हैं


सड़क पर दौड़ती

हर कार 

पहचानता है


धरती 

कितनी पुरानी है

विश्व युद्ध में 

क्या हुआ था


विज्ञान और

इतिहास की बातें

और भी बहुत कुछ


पर उसे अचरज 

सिर्फ इस बात पर होती है

कि मेरा बचपन 

इंटरनेट के बिना बीता है


विश्वास नहीं करता

मेरे दादा किसान थे

और हमारे खाने की

लगभग हर वस्तु

हम खुद उगाते थे


वो नहीं मानता

हमें सिर्फ

गिने चुने अवसरों पर

कपड़े मिलते थे


गर्मी के दिनों में

घर के आँगन में

चारपाई लगाकर

लंबी तान सोते थे


बुआ, मौसी 

और ताऊ के

बच्चों के पुराने कपड़े

ख़ुशी ख़ुशी

पहनते थे


पुरानी किताबों से 

पढ़ते थे

और कापियों के 

बचे पन्नों की

बाइंडिंग करवा कर

रफ-कापी बनाते थे


उसे लगता है

ये सब बातें

मैं उसे 

बना बनाकर सुनाता हूँ

क्योंकि उसने

नया वीडियोगेम माँगा है


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

नीदरलैंड्स, मंगलवार 9 मई 2023

 

एकलव्य

 एकलव्य

समझ नहीं पाता

तुम्हें क्या कहूँ? 


अभागा या भागवान

सच्चा या मूरख?


इतना तो तय है

तुम्हें अपना आदर्श 

नहीं बना सकता


जाने कितने लोगों से 

कितना कुछ सीखा है

देख-देख कर 


हर किसी को

कुछ ना कुछ

देना पड़ा तो?


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

नीदरलैंड्स, मंगलवार 9 मई 2023

 

जानकारी

 जान लेने की

सबको 

ललक होती है


लेकिन एकबार 

जान लिया

तो फिर चाह कर भी

अनजान

नहीं हो सकते


अनजान

बनने की कोशिश 

की जा सकती है

पर 

अपने मन-मस्तिष्क को

सब मालूम होता है


जब तक

पता नहीं होता 

अपने में मस्त रहो


जितना जानो 

उतनी उलझन 


एक सवाल 

के उत्तर में 

दस नये द्वन्द 

खड़े हो जाते हैं 


कोई ऐसी दवा 

ऐसा पैंतरा

ऐसा उपाय नहीं है 

जो मन चाही 

बात से 

अनजान बना दे


जानकारी

ही जान का

अरि है!


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

नीदरलैंड्स, मंगलवार 9 मई 2023