रविवार, 14 मई 2023

परदेसी

आसमान में

तारामण्डल देख

मन ही मन गुनता हूँ 

मेरा घर 

किस दिशा में होगा?


घड़ी देख के

अंदाजा लगाता हूँ

कितना बजा होगा

वहाँ अभी?


कल्पना करता हूँ

माँ क्या कर रही होगी?


याद करता हूँ

मैं क्या करता था

जेठ-वैशाख की

उजली रातों में?


घर लौटते हुए

सड़क छोड़

गली पकड़ते ही

बचपन की गली

याद आती है


गली की छोर से

घर का दरवाजा देख

माँ को खोजता हूँ

दुआरे पर खड़ी

राह तकते

स्कूल से आने में

जब देर हो जाती थी


ब्याह के 

पिया घर आई

बिटिया की तरह


हर छोटी-बड़ी

बात पर 

बाबुल के घर को

याद करते हैं 

परदेसी भी


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

नीदरलैंड्स, शनिवार 14 मई 2023

 

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