कैसे मनाऊँ होली, कैसे मनाऊँ होली
छूटी वो गलियां, वो रस्ते चौबारे
यारों के संग, जहाँ फिरते थे सारे
जितना था हासिल, बहुत जान पड़ता
फाके के दिन भी, मजे से गुजारे
लड़कपन की मस्ती, ना यारों की टोली
होती नहीं अब, हँसी ना ठिठोली
कैसे मनाऊँ होली, कैसे मनाऊँ होली
मनीष पाण्डेय “मनु” लक्सेम्बर्ग,शुक्रवार 18-मार्च 2022