बुधवार, 7 जून 2023

तेरी पायल की ये छनछन -- गीत

***तेरी पायल की ये छनछन -- गीत***

तेरी पायल की ये छनछन 
तेरी कंगना की ये खनखन
जान लेगी मेरी एक दिन
चाल ये हँसनी सी तेरी

तेरी पायल की ये छनछन 
तेरी कंगना की ये खनखन
जान लेगी मेरी एक दिन
चाल ये हँसनी सी तेरी

तेरी पायल की ये छनछन 

पूनम के चंदा को धरती में ले आये हैं
सावन की बदली से बांध के छाये हैं
बांध के छाये हैं छाये हैं… हाय… 

तेरी पायल की ये छनछन 

आगन की गेंदा हो, सुबह के सूरज सामान हो 
नदिया की लहरों सी, धान बाली की मुस्कान हो 
बाली की मुस्कान हो, मुस्कान हो… हाय…

तेरी पायल की ये छनछन 

बोली तुम कोयल की, चन्दन की तुम डाल हो
महकाती तन मन को चम्पा की तुम हार हो 
चम्पा की तुम हार हो, हार हो… हाय…

तेरी पायल की ये छनछन 
तेरी कंगना की ये खनखन
जान लेगी मेरी एक दिन
चाल ये हँसनी सी तेरी

तेरी पायल की ये छनछन

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यह कविता सन् 1965 में बनी छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेस' के एक प्रसिद्द गीत "तोर पैरी के झनर-झनर" से प्रेरित है जिसे स्वर्गीय मोहम्मद रफी ने स्वरबद्ध किया था


गीतकार : डॉ.हनुमंत नायडू ‘राजदीप’
संगीतकार : मलय चक्रवर्ती
स्वर : मोहम्मद रफी
फिल्म : कहि देबे संदेस
निर्माता-निर्देशक : मनु नायक
फिल्म रिलीज : 1965
संस्‍था : चित्र संसार

साभार: https://cgsongs.wordpress.com/2011/03/12/torpairikejhanarjhanar/