बुधवार, 21 फ़रवरी 2024

वजह

मैं तुम्हारा हो जाऊँ
उसके लिए
किसी वजह की
मुझे जरूरत नहीं 

तुम मेरी हो जाओ
उसके लिए 
कोई भी वजह तो
मेरे पास नहीं

बिना वजह
तुम्हें अपना 
बनाऊँ तो कैसे? 

प्रेम के लिए
वजह कोई
बताऊँ तो कैसे?

तुम्हारे बिना
दिल को अपने
बहलाऊँ तो कैसे?

बताना जरा
आखिर तुम्हें
मनाऊँ तो कैसे?

———————————
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार 21 फरवरी 2024, नीदरलैंड

शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

लम्हा

आता लम्हा
अपने साथ 
लाता है एक ख्वाब
और जाता लम्हा
दे जाता है 
एक कहानी

और इन्ही लम्हों के 
आने-जाने के बीच 
लम्हा-लम्हा
सरकती जाती है
जिंदगानी

—————————————————
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
शुक्रवार १६-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड

किसे पता था

स्कुल की पढ़ाई में
गुणा-गणित के साथ
कोई जीवन का पाठ भी पढ़ाये
बताये कि
जिंदगी सिर्फ प्यार के सहारे
नहीं चलती

रोज-रोज कैंटीन में 
घंटों नहीं बैठ सकेंगे
खुद खाना बनाना होगा
फिर बर्तन-रसोई की सफाई

हर कपड़े 
जँचते हैं उस पर 
लेकिन उन्हें 
धोना-सुखाना ही नहीं
प्रेस-ड्राइक्लिन
और सहेजना भी काम होगा

एक आशियाँ होगा
जिसे दोनों 
प्यार से सजायेंगे
लेकिन साथ ही 
भरेंगे उसकी ईएमआई
और झाड़ू-पोंछा 
रख रखाव के झंझट भी होंगे 

बीमार पड़े तो
गेट-वेल-सुन का कार्ड
और दिल की ईमोजी वाला 
सन्देश भेजकर फुर्सत नहीं होंगे
सेवा करनी होगी
वक्त पर देनी होगी दवाई
हाथ-पैर दबाना 
और करना होगा
घाव की सफाई कर नई पट्टी

कोई बताता 
जिन्दगी में सिर्फ 
हँसीं-मजाक ही नहीं
नोक-झोंक भी होगी
और कभी झगड़ा हुआ तब
बात भले ना करो
पर बाकी सब काम तो 
करने ही होंगे

लेकिन 
इन सब के बीच 
दोनों मिलकर
जिंदगी की किताब के 
खाली पन्नों पर
सुख-दुःख, हार-जीत और 
खट्टे-मीठे अनुभवों से भरी
एक कहानी लिखेंगे
किसे पता था

—————————————
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
शुक्रवार १६-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड

गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

सिलवटें

मुझे सिलवटें 

पसंद हैं

क्योंकि 

करीने से रखे कपड़े

उस इंसान की तरह होते हैं

जो कर तो सकते थे

बहुत कुछ

लेकिन फिर भी

कभी किसी के काम नहीं आये 


लेकिन

सिर्फ सिलवटों से

यह नहीं कह सकते

कि ये इस्तेमाल से आये हैं 

बेतरतीब रखकर भी

सिलवटें पड़ जाती हैं

जैसे कोई आदमी

यूँ ही जीता रहा

कभी किसी के

काम आने लायक

हुआ ही नहीं 


—————————————

मनीष पाण्डेय ‘मनु’

गुरुवार १५-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड

बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

हम

काश मैंने किया होता
थोड़ा सबर
और तुमने जताई होती 
थोड़ी फिकर

काश मैंने किया होता
थोड़ा भरोसा
और तुमने जताई होती 
थोड़ी अहमियत

काश मैंने किया होता
थोड़ा प्रयास
और तुमने जताई होती
थोड़ी उम्मीद

काश मैंने किया होता
थोड़ा अनुरोध 
और तुमने जताई होती
थोड़ी हमदर्दी

तो आज
मैं और तुम
हम हो गए होते 

—————————————
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार १४-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड




तुम

मैं नहीं कहता
तुम्हारे होठों को 
गुलाब की पंखुड़ियों सा

नहीं लगता
तुम्हारा चेहरा
चाँद सा 

नहीं खोजता 
तुम्हारी चाल में
हिरणी की कुलाँचें

नहीं लगते 
तुम्हारे गेसू
मुझे नागिन जैसे

नहीं डूबता
तुम्हारी आँखों की
गहरी झील में

नहीं सुनता
तुम्हारी आवाज में 
सरगम के सातों सुर 

नहीं पाया
तुम्हारी हँसी को
फूल बरसाते

मेरे लिए 
पर्याप्त है 
तुम्हारा बस 
तुम होना 

—————————————
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार १४-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड

सिलवटें

जो कभी 
तुम्हारी जुल्फें
संवारती थीं 
आज वो उँगलियाँ
एक दूसरे में उलझी
पोरों को घिस रही हैं

जिसे कभी
तुम्हारी गोद में
रखा था
आज वो सर 
तकिये की गाँठों में
कसमसा रहा है

जिसमें कभी
तुम्हें अपना बनाने के 
अरमान पलते थे
आज वो दिल
तुमसे बिछड़ने के
दर्द से कसक रहा है

नहीं बदला है
तो बस
तुम्हारी याद में
बिस्तर पर
मेरा
सिलवटें बनाना

———————————
मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार १४-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड

कैरोके भजन - एक नाम की महिमा है

इक नाम की महिमा है 
लोगों को ज़ुबानी है 
इक नाम की महिमा है 
लोगों को ज़ुबानी है 
ये कथा और कोई नहीं 
श्री राम कहानी है 

एक नाम की महिमा है 
लोगों को ज़ुबानी है 
ये कथा और दूजीदूजी नहीं 
श्री राम कहानी है 
इक नाम की महिमा है 

राम सिया राम सिया राम 
राम सिया राम सिया राम 

चार दसरथ के बेटे 
राम-लक्ष्मण भारत-सत्रुघन 
राज गद्दी अवध की अब 
राम अब तुम कर लो वरण 
सब छोड़ के पीछे मगर
वनवास बितानी है 
ये कथा और कोई नहीं 
श्री राम कहानी है 
इक नाम की महिमा है 

राम सिया राम सिया राम 
राम सिया राम सिया राम 

राम-सीता गए वन को
संग लक्ष्मण भाई भी 
खाए सबरी के बेर
सूर्प नक्खा की नाक कटी 
रावण ने भेजा हिरन
उसे सीता चुरानी है 
ये कथा और कोई नहीं 
श्री राम कहानी है 
इक नाम की महिमा है 

राम सिया राम सिया राम 
राम सिया राम सिया राम 

लंका ज़ारे हनुमान  
बानर की सेना बनी
सागर को बांध दिया 
रावण पर विजय कर ली
अब चौदह बरस हो गए 
घर लौट के जानी है 
ये कथा और कोई नहीं 
श्री राम कहानी है 
इक नाम की महिमा है 



संतोष आनन्द जी को आभार सहित

गाने का लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=UbuNVu9eV1U

कैरोके लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=3W0Fy_dbwjM

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार १४-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड

हॉलैंड की बसंत

 हॉलैंड की बसंत


मिट्टी की परतें खोल

ट्यूलिप के बल्ब में

कुलबुलाहट हो रही है,

लगता है अब

हॉलैंड की वादियों में

बसंत की 

आहट हो रही है


पतझड़ से उघड़ी

उदास टहनियों पर

फिर से चिड़ियों की 

चहचहाहट हो रही है

लगता है अब


गलियों में खड़ी

गाड़ियों के शीशों पर

बर्फ नहीं ओस की 

जमावट हो रही है

लगता है अब


दफ्तर-स्कूल जाते

अंधेरे की मायूसी नहीं 

रौशनी की

जगमगाहट हो रही है

लगता है अब


सप्ताहांत में अब 

मुहल्ले के पार्क में

बच्चों की मस्ती-

खिलखिलाहट हो रही है

लगता है अब


आहाते वाले गमले के 

बेजान गुलाब में

नये पत्ते-कलियों की

सुगबुगाहट हो रही है

लगता है अब


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

वसंत पंचमी बुधवार १४-फ़रवरी-२०२४, नीदरलैंड

शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

नवल हो गया

नवल हो गया


सिलसिला इस तरह आजकल हो गया
एक मुखड़े पे मरना शगल हो गया

कुछ दिनों से मुझे एक चेहरा दिखा
ध्यान हौले से उसका मुझ पर गया
मैं उसे क्या कहूँ, वो कहो क्या मुझे
बस यह सोचते, दोनों चुप ही रहे
फिर आँखों ने कुछ बात ऐसी कहीं
बिन कहे बिन सुने ही पहल हो गया

बहाने से हम उनसे मिलने लगे 
पर नयन अब हमें देख झुकने लगे
फिर लबों में जरा जान आने लगी
सरसराहट हुई बुदबुदाने लगी
नाम मेरा लिया जब बहुत प्यार से 
प्रेम का हर निवेदन सफल हो गया

बात आगे बढ़ी फिर मुलाकात से
एक दूजे को थोड़ा समझने लगे
फिर हुआ एक दिन यूँ मेरे साथ में
हाथ अपना दिया जो मुझे हाथ में 
अब किस्मत पे हम नाज करने लगे
उसे पाया तो जीवन नवल हो गया

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मनीष पाण्डेय 'मनु'
शनिवार १०-फरवरी २०२४, नीदरलैंड