बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

तुम

मैं नहीं कहता
तुम्हारे होठों को 
गुलाब की पंखुड़ियों सा

नहीं लगता
तुम्हारा चेहरा
चाँद सा 

नहीं खोजता 
तुम्हारी चाल में
हिरणी की कुलाँचें

नहीं लगते 
तुम्हारे गेसू
मुझे नागिन जैसे

नहीं डूबता
तुम्हारी आँखों की
गहरी झील में

नहीं सुनता
तुम्हारी आवाज में 
सरगम के सातों सुर 

नहीं पाया
तुम्हारी हँसी को
फूल बरसाते

मेरे लिए 
पर्याप्त है 
तुम्हारा बस 
तुम होना 

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार १४-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड

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