बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

सिलवटें

जो कभी 
तुम्हारी जुल्फें
संवारती थीं 
आज वो उँगलियाँ
एक दूसरे में उलझी
पोरों को घिस रही हैं

जिसे कभी
तुम्हारी गोद में
रखा था
आज वो सर 
तकिये की गाँठों में
कसमसा रहा है

जिसमें कभी
तुम्हें अपना बनाने के 
अरमान पलते थे
आज वो दिल
तुमसे बिछड़ने के
दर्द से कसक रहा है

नहीं बदला है
तो बस
तुम्हारी याद में
बिस्तर पर
मेरा
सिलवटें बनाना

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार १४-फरवरी-२०२४, नीदरलैंड

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