हॉलैंड की बसंत
मिट्टी की परतें खोल
ट्यूलिप के बल्ब में
कुलबुलाहट हो रही है,
लगता है अब
हॉलैंड की वादियों में
बसंत की
आहट हो रही है
पतझड़ से उघड़ी
उदास टहनियों पर
फिर से चिड़ियों की
चहचहाहट हो रही है
लगता है अब…
गलियों में खड़ी
गाड़ियों के शीशों पर
बर्फ नहीं ओस की
जमावट हो रही है
लगता है अब…
दफ्तर-स्कूल जाते
अंधेरे की मायूसी नहीं
रौशनी की
जगमगाहट हो रही है
लगता है अब…
सप्ताहांत में अब
मुहल्ले के पार्क में
बच्चों की मस्ती-
खिलखिलाहट हो रही है
लगता है अब…
आहाते वाले गमले के
बेजान गुलाब में
नये पत्ते-कलियों की
सुगबुगाहट हो रही है
लगता है अब…
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
वसंत पंचमी बुधवार १४-फ़रवरी-२०२४, नीदरलैंड
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