शनिवार, 20 अप्रैल 2024

कैरोके भजन - राम कहूँ मैं

राम कहूँ मैं, साँझ सवेरे
भजता रहूँ बस राम को मेरे
सिया-राम ही कहूँगा
सिया-राम ही कहूँगा

राम कहूँ मैं, साँझ सवेरे
भजता रहूँ बस राम को मेरे
सिया-राम ही कहूँगा
सिया-राम ही कहूँगा

राम कहूँ मैं, साँझ सवेरे


राम तो हैं, दीन दयाल
करते है वे सबको निहाल
राम तो हैं, दीन दयाल
करते है वे सबको निहाल
रघुवीरsss 
सुबह शाम अब तो
बार-बार सिया-राम ही कहूँगा
सिया-राम ही कहूँगा

राम कहूँ मैं, साँझ सवेरे
भजता रहूँ बस राम को मेरे
सिया-राम ही कहूँगा

नाम जपूँ, ध्यान करूँ
दरस करूँ पूजा करूँ
नाम जपूँ, ध्यान करूँ
दरस करूँ पूजा करूँ
रघुवीरsss 
मेरे राम अब तो
बार-बार सिया-राम ही कहूँगा
सिया-राम ही कहूँगा


राम कहूँ मैं, साँझ सवेरे
भजता रहूँ बस राम को मेरे
सिया-राम ही कहूँगा


कैरोके लिंक: https://youtu.be/KEdkig04kCM?si=wAF9JXo1OUtdkPYd 
गाने का लिंक: https://youtu.be/qnqwYQSqOIM?si=jkhYbNsempsSeCo-
उमेश जी द्वारा गाया गया: https://youtu.be/loMrLUHO_tk?si=zxDCCTdpsKNep3E6

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार 17 अप्रैल 2024, नीदरलैंड

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

कैरोके भजन - ओ मेरे राम जी

ओ मेरे राम जी 
ओ मेरे राम जी 
बन जाये मेरा जीवन, कृपा कीजिए 

ओ मेरे राम जी 
बन जाये मेरा जीवन, कृपा कीजिए 

अपनी ही करनी देख के हम
कैसे कहें शरमा रहे 
ऐसे किये हैं काम की अब 
पाँप से तो घबरा रहे 
मेरा क्या होगा, ओ मेरे रघुवर 
हाय, इस काल से तो बचा लीजिये 

ओ मेरे राम जी 
बन जाये मेरा जीवन, कृपा कीजिए 

राम की पूजा, राम का नाम  
मेरा सहारा और नहीं 
इन पावन चरणों के सिवा
मेरा गुजारा और नहीं
रटता ही रहूँ सांसों में मेरे
अब मन में ही मेरे बसा कीजिये 

ओ मेरे राम जी 
बन जाये मेरा जीवन, कृपा कीजिए 

यूँ ही भटकता हूँ दर-दर
माया से बच पाता ही नहीं
तुम ही दिखा दो राह मुझे
कुछ भी समझ आता ही नहीं
आया हूँ शरण, हे नाथ मेरे
अब इन चरणों में जगह दीजिए


ओ मेरे राम जी 
बन जाये मेरा जीवन, कृपा कीजिए 
ओ मेरे राम जी 

कैरोके लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=5OoerM0QUVs

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
शुक्रवार 12 अप्रैल 2024, नीदरलैंड

बुधवार, 10 अप्रैल 2024

अम्बे मेरी मैया

अम्बे मेरी नैया, पार लगा दे माँ बिगड़ी मेरी मैया, आज बना दे ना

ना जानू मैं पूजा तेरी, ना जानूँ मैं भक्ति गुण तेरे मैं गाऊँ कैसे, कुछ ना मेरी शक्ति पर मैया मैं बालक तेरा, रो रो तुझे पुकारूँ कब आएगी मैया मेरी, तेरी राह निहारूँ प्यारी मेरी मैया, दरस दिखा दे ना अम्बे मेरी नैया, पार लगा दे माँ धन दौलत के पीछे मैंने, इतने बरस बिताये कैसे-कैसे करम किए हैं, कितने पाँप कमाये राग-द्वेष में डूबा ऐसा, अहम भाव अपनाया अब जागा हूँ मैया तो, मैं तेरे द्वारे आया जग जननी तू मेरे, दोष भुला दे ना अम्बे मेरी नैया, पार लगा दे माँ

सिवा तुम्हारे इस जग में, मैया कौन हमारा सब के दुखड़े दूर करे माँ, ऐसा नाम तुम्हारा इतनी विनती है माता अब, तेरी भक्ति पाऊँ अम्बे तेरी कृपा हुई तो, भव सागर तर जाऊँ अपना मुझको मैया, दास बना ले ना अम्बे मेरी नैया, पार लगा दे माँ

बिगड़ी मेरी मैया, आज बना दे ना अम्बे मेरी नैया, पार लगा दे माँ

——————————————— मनीष पाण्डेय ‘मनु’ बुधवार 10 अप्रैल 2024, नीदरलैंड

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

इंद्रधनुष

इंद्र धनुष देखकर
खयाल आया कि
असमान में दिखने वाली
इस मनोहर छटा को
इंद्र धनुष ही क्यों कहते?

दुनिया भर की 
अन्य कई भाषायों में
इसे वर्षा-धनुष भी कहते हैं
और इंद्र ही
वर्षा कराते हैं

लेकिन
इंद्र के पास तो वज्र होता है
जिसे वो मारते हैं
ऐरावत पर चढ़कर
कभी दैत्यों के ऊपर 
तो कभी भले लोगों पर 

क्या इसलिए कि 
सच में यह
इंद्र का ही धनुष है
जो गिर जाता है बार-बार
उनके काँधे से फिसल कर
ऐरावत की 
मस्तानी चाल के कारण?

या इसलिए कि
इंद्र एक वैज्ञानिक हुए
और उन्होंने ही
वर्षा-जलवायु आदि
पर शोध करके
इसे परिभाषित किया?

या शायद 
अरुण-वरुण ने 
अपना प्रयोग
इंद्र को समर्पित कर दिया
क्योंकि वे राजा हैं?

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
शुक्रवार 05 अप्रैल 2024, नीदरलैंड

मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

नमो नमो

अब बँटते हैं भगवान, बोल बम नमो-नमो

भक्तों में खींचातान, बोल बम नमो-नमो


कल तक जिनको गरियाते थे उनको साथ मिला लो

जोड़-तोड़ या हेरफेर से बस सरकार बना लो

अब कुर्सी ही ईमान, बोल बम नमो-नमो


मंदिर-मस्जिद जिनकी खातिर वोटों के टकसाल हैं

जनता उनके पाँव पखारे करते नहीं सवाल हैं

अब नेता ही भगवान, बोल बम नमो नमो


जनता दो रोटी को ताके नेता माल उड़ाये

ऐसा सौदा जिसमें मालिक कौड़ी में बिक जाये

देश फिर कैसे बने महान, बोल बम नमो नमो


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

मंगलवार 2 अप्रैल 2024, नीदरलैंड




सोमवार, 1 अप्रैल 2024

काले अंग्रेज

गोरे अंग्रेजों को तो
भूखे-नंगों, अगड़े-पिछड़ों ने
मिलकर निपटाए,
काले अंग्रेजों से शोषित
भारत माँ को भला बताओ
कौन बचाये?

जालियाँवाला बाग के 
बंदूँकों का घोड़ा
दबा विदेशी हाथों से था,
राजपुताना के वीरो को
छलने वाला दाँव 
उन्हीं मक्कारों में था,
लेकिन ये हैं कौन-
जो अपने ही लोगों के 
सर-सीने पर बूट चलाये?
भारत माँ को…

मर जाने तैयार मगर
अपनी झाँसी देने
वो तैयार नहीं थी,
भीखा, अरुणा, कमलादेवी
सावित्री, बेगम हजरत, दुर्गा थी
लाचार नहीं थी,
पदक जीतने वाली बेटी
सिसक रही है घर में
किससे लड़ने जाये  
भारत माँ को…

भरे सदन में नेहरू को
गरियाने वालों के भी
पीठ थपाये जाते,
एक वोट से कुर्सी टूटी
फिर भी डिगे बिना
गीत नये वो गाये जाते,
अब कैसे हैं नायक
जो कुर्सी की खातिर
जनता में द्वेष कराये
भारत माँ को…

तीन लाख का सूट 
डेढ़ का चश्मा कोई डाल 
फक़ीरी झाड़ रहा है,
भेड़ चाल चलती जानता को
जुमलों से भरमाते 
झण्डे गाड़ रहा है,
चौकीदारी उसके हिस्से
एक-एक को चुनकर जो 
निपटाता जाये
भारत माँ को…

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
सोमवार 01 अप्रैल 2024, नीदरलैंड