एकलव्य
समझ नहीं पाता
तुम्हें क्या कहूँ?
अभागा या भागवान
सच्चा या मूरख?
इतना तो तय है
तुम्हें अपना आदर्श
नहीं बना सकता
जाने कितने लोगों से
कितना कुछ सीखा है
देख-देख कर
हर किसी को
कुछ ना कुछ
देना पड़ा तो?
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
नीदरलैंड्स, मंगलवार 9 मई 2023
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