मंगलवार, 14 सितंबर 2021

हिन्दी

पेट भरने
और घर चलाने के लिए
ना सही
किन्तु
चोट खाने पर
मेरे अंतस दुःख को
बताने की भाषा हिन्दी है
खुश होने पर
उल्लास को
जताने की भाषा हिन्दी है
और तो क्या कहूँ
नींद में जब सपने देखता हूँ
तो उसकी भी भाषा हिन्दी है
इसलिए मेरे मन में
हिन्दी भाषा के लिए
कोई एक दिन निर्धारित नहीं है

हर दिन हिन्दी का है
हिन्दी के लिए है
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मनीष पाण्डेय “मनु”
लक्सेम्बर्ग ,मंगलवार 14-सितम्बर-2021

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