शनिवार, 28 मई 2022

गुनाह

घण्टों बातें
करती है
मिलने आती है
जब भी पूछा
दिल का हाल तो 
हँसके टाल जाती है


साथ है

पर साथ नहीं

उससे बुरी

कोई बात नहीं

ना मिले उसका प्यार

तो उससे बदतर

हालात नहीं


क्या सितम है

मेरा होके भी

वो मेरा  हुआ

सुलग रहे हैं हम

और ज़िंदगी हो गई

धुआँ-धुआँ


ना बेवफा है

और ना ही

सितमगर है

लेकिन 

उसका प्यार

एक भरम भर है 


इससे अच्छा तो 

कह दे साफ

कोई नाता नहीं

इस तरह घुट-घुट

अब और

जिया जाता नहीं


लेकिन डरता हूँ

उसने “ना” कहा तो

क्या जी पाऊँगा?

और यदि 

“हाँ” कहा तो

शायद

खुशी से मर जाऊँगा


प्यार से बढ़कर

गुनाह नहीं है

किसी भी सूरत

इसका

निबाह नहीं है


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मनीष पाण्डेय ‘मनु

लक्सम्बर्ग शनिवार 28 मई 2022

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