गुरुवार, 12 मार्च 2009

होली गीत - रंग बसंती

कच्चे-कच्चे रंग लगाकर,
मन भी कच्चा होता जाए
मन जिसका पक्का हो वो ही,
बढकर मुझको रंग लगाये.

पेडो को काटा जो हमने,
हरियाली धू-धू जल जाए.
आओ मन के मैल जलाकर,
हम सच्ची होलिका जलाएं.
मन जिसका पक्का हो वो ही...

नशा-भांग से चढ़े बुराई,
मर्यादा की साख गिराए.
ताशे-ढोल बजाकर आओ,
गारी नही, फगुनवा गायें.
मन जिसका पक्का हो वो ही...

इस होली में आओ मिलकर,
ऐसे सबको रंग लगायें.
तन रंगे, मन रंगे सबका,
प्रेम-भावः जीवन रंग जाए.
मन जिसका पक्का हो वो ही...

नीले-पीले, हरे-गुलाबी,
रंग नही ये मन को भाये.
देशप्रेम का रंग-रंगीला,
चलो बसंती रंग लगायें.
मन जिसका पक्का हो वो ही...

5 टिप्‍पणियां:

Dr. Kaushal ने कहा…

bahut achchi rachna hai.

Dr. Kaushal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…

pyari kavita hai...m sure bhabhiji se inspiration mili hogi:)

Rahul Acharya ने कहा…

bahot badhiya hai....keep it up...

बेनामी ने कहा…

jane unjane , bhule - bisray , sab ko aao gale lagaye. kahe holi ka parv yahi ke, prem rang me jag rang jaye !! - -parikshit