मंगलवार, 10 अप्रैल 2001

दर्द का रिश्ता

बहुत अच्छा किया
जो तुमने
तोड़ दिया दर्द का
रिश्ता|

छुड़ा लिया दामन
मेरे नशीब के
काँटों से|

दुआयें दे रहा हूँ
के मुबारक हो तुझे
बहारों के दिन, और
जमाने की खुशियाँ|

पर ये न समझाना
के तुम्हारे बिना
मैं किसी भूले हुए
मज़ार की तरह
बिख़र जाऊँगा |

मैंने प्यार किया प्यार
और तेरी जुदाई के
तूफानों के बीच
इस प्यार का दिया
अपने खून-ए-जिगर
से जलाता रहूँगा|

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मनीष पाण्डेय "मनु"
बिलासपुर, मंगलवार १० अप्रैल २००१

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