मंगलवार, 20 अगस्त 2013

प्यार का क़र्ज़


हम तेरी झील सी गहरी आँखों में
ऐसे डूब जाते हैं,
जैसे किसान किसी साहूकार के
कर्जे में डूब जाता है॥१॥

फंस जाते हैं तेरे नैनों की
भूल-भूलैया में ऐसे,
जैसे बनिए के बही खाते का
उलझा हुआ हिसाब हो॥२ ॥

बंध जाते हैं तेरे नैनों की
डोरी से,
जैसे बाँकडे बैल को
बाँध लिया हो जमानत में ॥३॥ 
       कितनी भी चुकाओ क़िस्त
हिसाब से चुकता ही नहीं है,
तेरे नैनों में हमारे प्यार का
असर दिखता ही नहीं है॥४॥


अब ये प्यार का क़र्ज़
जो चढ़ा है तेरे नाम से,
सात जन्मों तक थोड़ा-थोड़ा
चुकाएंगे इत्मीनान से॥५॥ 

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

हम तेरी झील सी गहरी आँखों में
ऐसे डूब जाते हैं,
जैसे किसान किसी साहूकार के
कर्जे में डूब जाता है॥१॥

bahot acche !!!

- saksham