रविवार, 20 सितंबर 2020

कुछ दोहे

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बिटिया घर से हो विदा

अजब बनी यह रीत

माँ-बाबा कैसे सहें

बिछुड़े उनकी प्रीत


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गुरु वंदना में पहला दोहा:


महिमा वेद-पुराण भी, जिनकी करें बखान

गुरु के बिन मिलता नहीं, जग में कोई ज्ञान


श्याम नाम मीरा भजे, 

सबरी जपती राम

वे ही सागर प्रेम के,

वे ही पूरन काम 


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रक्षाबंधन के लिए मेरा प्रयास:



रेशम डोरी प्यार की, बाँध कलाई आज

भाई से बहना कहे, रखना इसकी लाज


और


रेशम प्रेम प्यार का, बँधा कलाई आज

भाई को ऐसा लगे, मिला स्वर्ग का राज

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