दिखावे पे अपने ही मरती ये दुनिया
दिखावे के दम पर ही जलती ये दुनिया
शराफत करे उसको कमजोर समझे
किसी धाँसिये से ही डरती ये दुनिया
नसीहत के किस्से सुने तो बहुत पर
नहीं सीखती ना बदलती ये दुनिया
नहीं भीड़ का कोई मालिक यहाँ पर
फकत भेड़ जैसे ही चलती ये दुनिया
नहीं एक शय जिसमें शामिल नहीं वो
उसे खोजने क्यों भटकती ये दुनिया
किसी और के सच को अपना बना कर
बिना बात मुश्किल में पड़ती ये दुनिया
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
हिन्दी, शुक्रवार ४ अगस्त २०२३
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