गुरुवार, 9 जनवरी 2025

भारत की भूमि

छूते ही भारत की भूमि
रग-रग में सिहरन होती है
माँ की गोद मिली हो मानो
बस ऐसी चितवन होती है 
 
अबके जब मैं मिलने आया
उसने पूछा बात बताओ
क्या मिलता तुमको मुझसे
जाकर दूर जरा समझाओ 
 
मैं भी बोल पड़ा था माँ से
तुमने क्यों ना मुझको रोका
मैं तो नादानी कर बैठा
लेकिन तुमने भी ना टोका 
 
दोनों ही कुछ ना कह पाए
बस इतना ही मन में आया
जाने कौन घड़ी थी जिसमें
घर से बाहर पाँव उठाया 
 
शायद मेरे भाग यही था
दूर देश में रहने जाऊँ
दुनिया के कोने कोने में
भारत माँ नाम बढ़ाऊँ 
 
मैं परदेशी दूर देश में
बैठा उसको करता याद
भारत मेरे दिल में बसता
बाकी दुनिया उसके बाद 
 
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
भारतीय प्रवासी दिवस गुरुवार 9 जनवरी 2025
, नीदरलैंड

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