शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

सरकार तो बना लो

सरकार तो बना लो 

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नाथ या अनाथ हो

दिन हो या रात हो

नाग-नाथ को, 

साँप-नाथ को 

जो आ जाए मिला लो

चलो सरकार तो बना लो


कल तक विरोधी था

लगता बड़ा क्रोधी था 

किसी बात पे अड़ गया है

अकेला पड़ गया है 

देखो! हो सके तो इधर बुला लो

चलो सरकार तो बना लो


आगे की सीट हो

पीछे की पीठ हो

सीधा या ढीठ हो 

खारा या मीठ हो

जैसे बने वैसे, काम चला लो

चलो सरकार तो बना लो


जनता की बात नहीं

रहता कुछ याद नहीं 

होशियार ना बेवक़ूफ हैं

सब अपने में मसरूफ हैं 

कोई भी अच्छा सा जुमला निकालो

चलो सरकार तो बना लो


चार दिन की चाँदनी

आदर्श में क्यों काटनी

मौका गँवाना क्यों 

बाद में पछताना क्यों 

मौका मिला है तो फायदा उठा लो

चलो सरकार तो बना लो


कुछ नहीं टिकता है

ईमान भी बिकता है

घर की जागीर है

आदमी का तो जमीर है 

उधर जगा के इधर सुला लो

चलो सरकार तो बना लो


कौन यहाँ सच्चा है

जैसा है अच्छा है 

हटाओ, मुद्दों को छोड़ो

पहले आँकड़े तो जोड़ो

देख लो थोड़ा हिसाब से लगा लो

चलो सरकार तो बना लो


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

लक्सम्बर्ग शुक्रवार 01-जुलाई-2022

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