शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

बदल रहा है देश

 बदल रहा है देश
सम्हल रहा है देश
बदलने परम्परा
मचल रहा है देश

राजतंत्र तो गया
लोकतंत्र हो गया
सही रूप में मगर
अब पकड़ रहे डगर
जाल से सामंतों के 
निकल रहा है देश… 

नेता जी कौन हैं
भैया जी कौन हैं
बाप की नहीं रही
गद्दी या सर जमी
नये चेहरे तराशने
उछल रहा है देश… 

बड़े बड़े सूरमा
बन रहे चूरमा
जमीन से जुड़े हुए
आज वो खड़े हुए
वोट की ताकत से
अब चल रहा है देश… 

जागो अब नींद से
पसीने की बूँद से
नींव अब नई रखो
नई राह बढ़ चलो
मेहनत के बूते ही
प्रबल रहा है देश… 

कोई टिप्पणी नहीं: