बदल रहा है देश
सम्हल रहा है देश
बदलने परम्परा
मचल रहा है देश
राजतंत्र तो गया
लोकतंत्र हो गया
सही रूप में मगर
अब पकड़ रहे डगर
जाल से सामंतों के
निकल रहा है देश…
नेता जी कौन हैं
भैया जी कौन हैं
बाप की नहीं रही
गद्दी या सर जमी
नये चेहरे तराशने
उछल रहा है देश…
बड़े बड़े सूरमा
बन रहे चूरमा
जमीन से जुड़े हुए
आज वो खड़े हुए
वोट की ताकत से
अब चल रहा है देश…
जागो अब नींद से
पसीने की बूँद से
नींव अब नई रखो
नई राह बढ़ चलो
मेहनत के बूते ही
प्रबल रहा है देश…
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