बहुत से लोग
इस दुनिया में
दोहरी जिन्दगी जीते है
एक जो उसे जीना पड़ता है दूसरा जिसे वो जीना चाहता है
इन दो पाटों के बीच जो फँस गया उसकी खैर नहीं
जिसे जी रहा है उसे जी पाता नहीं है जिसे जीना चाहता है वह हासिल नहीं है
बदहवासी इस उलझन की उसे कहीं का नहीं छोड़ती
बस एक तरीका है इस मिराज से छूटने का
सच का सामना!
दिक्कत इस बात की है
कि सच को
देख तो सभी सकते हैं
पर मानता कोई नहीं
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
अलमेर, नेदरलॅंड्स, बुधवार 16-नवंबर-2022
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