मैं खोया नहीं हू
भटका भी नहीं
उस मोड़ पर
मुड़ने का फैसला
मेरा था
इस ओर चले कदम
मैंने खुद उठाये थे
चाहता तो रुक जाता
पलट जाता
लौट जाता
पर नहीं
मैंने खुद चुना
इस राह में
आगे बढ़ना
बात इतनी सी है
कि चलते-चलते
किसी ऐसी जगह
पहुँच गया हूँ
जिसे जानता नहीं
और इसी
नये पन से
थोड़ा घबरा गया हूँ
इसी घबराहट में
वापस जाने का रास्ता
ध्यान नहीं आ रहा है
बस थोड़ा दम
ले लूँ
फिर खुद ब खुद
निकल आएगा
रास्ता
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मनीष पाण्डेय 'मनु'
नीदरलैंड्स, शुक्रवार ७ अप्रैल २०२३
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