बुधवार, 1 जुलाई 2020

दोस्ती

बहुत
अनूठा सा है
ये रिश्ता

उन सब से
अलग
जो बस 
बनते चले गए
जन्म के साथ 


ये रिश्ता तो
हमने 
खुद बनाया है
बचपन के 
भोले पन से 
सुरु कर के
और
निभा रहे हैं  
तरुणाई के रास्ते 
आज तक

इस रिश्ते में 
नहीं है
कोई ऊँच-नीच 
का झँझट
और ना ही  
कोई
प्रतिबन्ध है 
आदर्श के
किसी साँचे में 
उतरने का 

इस रिश्ते में 
तुम हो 
अपने आप 
के जैसे 
और मैं
भी हूँ
जस का तस 

नहीं है
कोई बनावट 
इसलिए 
नहीं लगता 
कि जैसे 
कोई साँकल 
पैरों पे
बाँधी हो 

और कोई 
दिखावा भी
नहीं है
तभी तो 
कभी नहीं 
होती घुटन 
तुम्हारे
आस पास
होते हुए 

भले ही 
लम्बे समय तक 
नहीं होती बात 
पर 
जब भी मिले 
वही गर्माहट 
और वही 
उन्मुक्त 
हँसी-ठहाके

खुद को 
बड़ भागी  
समझता हूँ 
के तुम 
मेरे साथी
मेरे मित्र हो

ईश्वर से 
करता हूँ 
यही प्रार्थना 
कि
तुम रहो
सदा खुशहाल
और
हमारी ये दोस्ती 
हमेशा ऐसे ही 
बनी रहे| 

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मनीष पाण्डेय, "मनु"
लक्सेम्बर्ग, बुधवार ०१ जुलाई २०२०

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