याद तेरी आज भी मुझको पुकारे
दिल में मेरे आज भी तेरी छवि है
कारनामे वो लड़कपन के हमारे
दोस्ती क्या चीज है तुमने सिखाया
खून के रिश्ते नहीं हम खुद बनाते
खुशनसीबी है कि तुझसा यार पापा
खेल जो खेले कभी हम साथ मिलकर
उन दिनों की याद तो भूली नहीं है
दिल में मेरे आज भी…
यूँ तो अब भी साथ में संगी खड़े हैं
पर कमी तेरी सदा खलती हवा में
छोड़कर यूँ साथ जो तुम चल दिये तो
मैं अकेला पड़ गया हूँ इस जहां में
दोस्ती का रंग जो तेरा चढ़ा फिर
और कोई रंग अब चढ़ता नहीं है
दिल में मेरे आज भी…
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