रविवार, 1 अक्तूबर 2023

कसमसाता समाज

 क्या आप जानते हैं

बहुत जल्द

ऐसा भी दिन आयेगा

जब बच्चे अपनी माँ को 

माँ नहीं कहेंगे

और पिता को 

पिता नहीं कहेंगे


उन्हें कहना होगा 

अभिभावक

या फिर शायद 

कोई नया शब्द बनाया जाएगा

जिसमें माता-पिता का 

बोध नहीं होगा


क्योंकि जब

स्त्री-पुरुष के मेल को ही

विवाह, परिवार या अभिभावक

नहीं माना जायेगा

तब तो

पति-पत्नी ही नहीं होंगे

फिर माता-पिता का 

प्रश्न कहाँ से आएगा


और तो और

बेटा-बेटी नहीं होंगे

भाई-बहन नहीं होंगे

सभी रिश्तों के नाम

बदल दिये जाएँगे


क्योंकि 

बदलते समय के साथ

समाज करवट ले रहा है

और इस कसमसाते समाज को

लैंगिक विविधता 

स्वीकार नहीं है


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’

रविवार 1 अक्टूबर २०२३, नीदरलैंड

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