क्या आप जानते हैं
बहुत जल्द
ऐसा भी दिन आयेगा
जब बच्चे अपनी माँ को
माँ नहीं कहेंगे
और पिता को
पिता नहीं कहेंगे
उन्हें कहना होगा
अभिभावक
या फिर शायद
कोई नया शब्द बनाया जाएगा
जिसमें माता-पिता का
बोध नहीं होगा
क्योंकि जब
स्त्री-पुरुष के मेल को ही
विवाह, परिवार या अभिभावक
नहीं माना जायेगा
तब तो
पति-पत्नी ही नहीं होंगे
फिर माता-पिता का
प्रश्न कहाँ से आएगा
और तो और
बेटा-बेटी नहीं होंगे
भाई-बहन नहीं होंगे
सभी रिश्तों के नाम
बदल दिये जाएँगे
क्योंकि
बदलते समय के साथ
समाज करवट ले रहा है
और इस कसमसाते समाज को
लैंगिक विविधता
स्वीकार नहीं है
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
रविवार 1 अक्टूबर २०२३, नीदरलैंड
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