रविवार, 1 अक्टूबर 2023

तेरी यादें


क्या हम यूँ ही बिछड़ने मिले थे

प्रेम के फूल बिखरने खिले थे

समझा जिसे बिन कहे दो दिलों ने

सच या भरम प्यार के सिलसिले थे?


जाने क्या हुआ उन सपनों उन वादों का

प्यार की तपिश में उफनते इरादों का 

कोई दुआ ना हुई कबूल जो हमने माँगी

क्या हुआ जाने दिल के उन फरियादों का 


तुझे याद करने का हासिल यही है 

ये दुनिया लगे मेरे काबिल नहीं है 

करना मुझे क्या जमाने से ऐसे 

जो होने में तू मेरे शामिल नहीं है 

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