बुधवार, 10 जून 2020

मैं स्वास नहीं ले सकता हूँ

मैं स्वास नहीं ले सकता हूँ
मैं स्वास नहीं ले सकता हूँ

क्यों ऐसे तुम मेरी गर्दन
अपने घुटनों में जकड़े हो
तुम जैसा ही मानव हूँ मैं
क्यों बाँध मुझे यूँ पकड़े हो
तुम तो वर्दी में आये हो
प्रतिकार नहीं दे सकता हूँ

जाने दो मुझको घर मेरे
इक बेटी राह निहारे है
हाँ छोटा सा घर मेरा है
जो चलता मेरे सहारे है
बाकी हैं मेरे काम बहुत
यूँ  प्राण नहीं दे सकता हूँ

तुम समझ नहीं सकते मुझको
पर कम से कम ये काम करो
मैं जन्मा ही अपराधी हूँ
मत अपयश मेरे नाम करो
पहले ही पीड़ित शोषित हूँ
दुख और नहीं सह सकता हूँ

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मनीष पाण्डेय "मनु"
लक्ज़ेम्बर्ग बुधवार 10 जून 2020 

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