रविवार, 9 मई 2021

मातृ-दिवस

मेरी माँ को
ध्यान नहीं है कि 
आज मातृ दिवस है,

जब मैंने बताया
तो बोली-
खुश रहो बेटे,

कुछ साल पहले तक
मुझे भी मालूम नहीं था-
साल का कोई एक दिन 
मातृ-दिवस होता है,

जब बच्चे थे तब
कोई भी दिन 
माँ के बिना 
होता ही नहीं था,

अब तो बस
उन दिनों की 
यादें आती हैं-

किसी गलती पर 
पापा से डर के 
माँ के पीछे छुपना,

वो मेले में जाने के लिए 
माँ से दस रूपये
अलग से मांगना,

थोड़े बड़े हुए तो 
अपनी पसंद के
खाने-खेलने के लिए 
माँ से लड़ना-झगड़ना,

जब घर से
दूर रहने लगे तो
हर शनिवार शाम
फोन पर बात करना,

जब शादी हो गई तब
बीवी के लिए साड़ी 
लेते हुए माँ के लिए भी 
एक साड़ी लेना,

जब माँ कुछ सिखाये तो 
खिसिया के कहना 
अब बस भी करो माँ 
अब मैं बच्चा नहीं रहा,

और आज,
हर छोटी-बड़ी बात पर
जब माँ की याद आती है
तो लगता है 
हम बड़े क्यों हो गए?

वो भी क्या दिन थे ना?
जब माँ के लिए 
साल का
कोई एक दिन नहीं 
पूरी जिन्दगी ही 
हुआ करती थी 
माँ के आँचल के तले| 

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मनीष पाण्डेय “मनु”
लक्सम्बर्ग, रविवार 09-मई -2021

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