रविवार, 9 मई 2021

बापू

रुक कर  
दो पल के लिए
मूँद लेता हूँ आँखें 
और सहज ही
झुक जाता है सर

आते-जाते जब भी 
पड़ती है बापू!
उद्यान में स्थापित 
तुम्हारी मूर्ति पर नज़र

छरहरे बदन पर
एक छोटी सी धोती पहने
तुम चलते थे 
लाठी के सहारे

तुम्हारी सत्य और अहिंसा
की शक्ति थी अपार
जिसके सामने 
अंग्रेज़ भी झुकते थे सारे

भारत माँ के 
तुम लाल थे अनोखे
और हम सब को है
तुम पर गर्व

इसीलिए तो 
मनाते हैं 
तुम्हारे जन्मदिन को ऐसे 
जैसे हो पर्व

कैसी अनोखी है
तुम्हारे जीवन की कहानी 
और पारस जैसी है 
महिमा तुम्हारे नाम की

वे भी हो जाते हैं प्रसिद्ध 
जो तुम्हें कोसते हैं
निंदा करते हैं
तुम्हारे काम की

जिन्होंने
तुम्हें समझा नहीं
वे 
तुम्हारी हर बात पर
सौ बात बनाते हैं

जो दावा करते हैं 
तुम उनके हो
वे भी बस 
अपनी राजनीति की 
दुकान चलाते हैं

तुमने तो 
नहीं देखा होगा बापू!
ऐसे भारत का सपना

लेकिन 
मैं निराश नहीं
धीरे ही सही 
आगे बढ़ रहा है 
देश अपना

बस इतनी सी है 
ईश्वर से प्रार्थना 
कि तुम्हारे सपनों को 
साकार करने की 
दे हमें शक्ति

हम सब मिलकर
अखण्ड रखें 
देश की सम्प्रभुता 
और अडिग हो 
हमारी देश-भक्ति

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मनीष पाण्डेय “मनु”
लक्सम्बर्ग, रविवार 09-मई -2021

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