शुक्रवार, 21 मई 2021

आवाज़

शब्द फूटते हैं
मूँह से

लिख भी लेता हूँ
काग़ज़ पर 
कलम से

लेकिन फिर भी
बोल नहीं पाता
दिल की बात 

पता नहीं
क्या हो गया है 
मेरी आवाज़ को
 
कहीं खो गयी है
या दब गई है
सीने में
किसी डर से?

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मनीष पाण्डेय “मनु”
लक्सम्बर्ग, शुक्रवार 21-मई -2021

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