सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

बात

बात ----------------------------------

पूरी बात भी हर बात की, बताता नहीं कोई अपनी गलती किसी बात पे, जताता नहीं कोई 

शायद लगी हो ठेस, किसी पहले की बात से

बिन बात ऐसे ही, दो बात सुनाता नहीं कोई 


निकल आयी होगी तुमसे, गरज किसी बात की

बे मतलब किसी को, प्यार से बुलाता नहीं कोई 


बातों से खानदानी, वो लगता है आदमी

किसी से यूँ ही अदब से, पेश आता नहीं कोई 


सर्दियों की फिक्र होगी, मन में उसके शायद 

वर्ना दरख्त इतने, फिजूल लगाता नहीं कोई


आदमी वो भीतर ही, बड़ा ख़ुशमिज़ाज होगा 

यूँ ही  किसी की बात पे, मुस्कुराता नहीं कोई


---------------------------------- मनीष पाण्डेय “मनु” लक्सेम्बर्ग, मंगलवार 21 फरवरी 2022

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